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लेखनी प्रतियोगिता -01-Feb-2023

जिंदगी कब किस ओर करवट ले लेती है। यह आज तक कोई नहीं जान पाया। कभी हंसाती कभी रुलाती है लेकिन फिर भी निरंतर चलती रहती है। कभी रंगों से भरी जिंदगी किसी एक रंग की मोहताज हो कर रह जाती है। यूं तो सफ़ेद रंग को शांति और अहिंसा का प्रतीक माना गया है लेकिन जब यही रंग किसी के अस्तित्व और पहचान का हिस्सा बन जाता है तो उसकी जिंदगी से बाकी रंगों का अस्तित्व ही खत्म हो जाता है।

आज अचानक पूरे पांच साल बाद मैंने उसे बाजार में देखा। चेहरे पर वही मासूमियत लेकिन आंखों में एक उदासी लिए वो मुझे नज़र आई तो यकीन ही नहीं हुआ कि यह वही लड़की है जो कभी पूरे कालेज में फैशन क्वीन के नाम से मशहूर थी। आज उसे एक सफ़ेद और सिंपल सी साड़ी में देख कर बहुत गहरा धक्का लगा। एक जिंदादिल और खुशमिजाज लड़की आज इस कद्र मायूस होकर रह जाएगी, कभी सोचा नहीं था। आंखों के आगे कालेज की जिंदगी फिल्म की तरह घूमने लगी।

उस दिन मैंने उसे पहली बार देखा था। जहां नये विधार्थी डरे सहमे से कालेज के अंदर दाखिल हो रहे थे वहीं वो स्केटबोर्ड पर लहराते हुए चली आ रही थी। कानों में हैडफोन लगाए अपने आप में मस्त धीमी आवाज में नगमे गुनगुनाते हुए बहुत खुश लग रही थी। पीला प्रिंटेड टाप और काले रंग की जींस पहनी हुई थी। ऐसा लग रहा था जैसे कालेज में नहीं बल्कि फैशन शो में हिस्सा लेने आई हो। उसकी मासूमियत से भरी हंसी से सामने आने वाले हर इंसान के चेहरे पर मुस्कान ला दी। कुछ सीनियर स्टुडेंट्स ने जब उसकी रैंगिंग करनी चाही तो उसने बड़ी चालाकी से उनकी ही रैंगिंग कर डाली।

वो मेरा उस कालेज में आख़री साल था। अक्सर आते जाते जब भी उस पर नज़र पड़ती तो हर बार वो कोई ना कोई खुराफात करते हुए ही मिलती थी। उसकी शरारतों से भले ही सभी परेशान रहते थे लेकिन उसकी इन्हीं शरारतों की वजह से पूरा कालेज उससे लगाव भी रखता था। मैं भी उसके स्वभाव को बहुत पसंद करता था। सीनियर जुनियर वाला टैग उसके लिए कोई मायने नहीं रखता था। वो बेधड़क और बेखौफ होकर कभी भी कहीं भी घुस जाया करती थी। इस वजह से वो एकलौती जुनियर थी। जो हमारे थर्ड इयर ग्रुप का एक हिस्सा बन चुकी थी।

एक साल पूरा होने पर मैं आगे की पढ़ाई के लिए बाहर चला गया। फिर उससे कभी मुलाकात नहीं हो पाई। हां बाकी दोस्तों की बातों में जरुर उसका जिक्र होता रहता था‌। लेकिन उसके ऐसे रुप की मैंने कल्पना भी नहीं की थी कि इतनी जिंदादिल लड़की की जिंदगी में ऐसा भी एक दिन आएगा। लेकिन किस्मत का लिखा आज तक कौन बदल पाया है। दोस्तों से पूछा तो पता चला कि शादी के तीन महीने बाद ही एक सड़क हादसे में उसके पति की मौत हो गई थी। तो ससुराल वालों ने भी उससे पल्ला झाड़ लिया। यह सुनकर मैं बस भगवान से यही दुआ करता हूं कि उसकी जिंदगी से यह गम के बादल छंट जाए और उसकी पतझड़ सी जिंदगी में फिर से बहार आ जाए। 

समाप्त 


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11 Comments

Behtarin rachana

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अदिति झा

03-Feb-2023 01:14 PM

Nice 👍🏼

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